Words can create magic and I want to get lost in them for some part of each day.

May 10, 2011

तपिश के फूल.


नर्म  हवाओं ,हसीं  फ़ज़ाओं की आस 
दरकिनार करते हैं ,गुलमोहर,ज़कारंदा,अमलतास .
कहीं बोगुनविल्ला, मालती इठलाती 
मोतिया,चंपा, चमेली, बल खाती. 
जब हर ओर उड़ती है धूल
तब भी खिलते हैं ये चंद  फूल .
बिन बगिया ,माली, पानी के सहारे 
ये पेड़- नुमा गुलदस्ते, शायद खुदा ने खुद सँवारे. 
तपती धरती के सुलगते माथे पे -
रंग -ओ- बू  का एक हल्का सा आँचल तो हो.

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