Words can create magic and I want to get lost in them for some part of each day.

May 8, 2012

पहिया .

कभी  कभी लगता है :
मैं  सिर्फ एक पहिया हूँ -

बस मील मापती  रहती  हूँ 
और धूल फाँकती  रहती हूँ 

हर मंज़िल मुझसे बेखबर 
है फिरना मुझ को दर-ब -दर 

उनींदी आँखें लिए जागती रहती हूँ 
बस पड़ाव ताकती रहती हूँ 

मेरे चलने से ही सब कुछ चलता है 
फिर भी , बस ठहराव की मोहलत मांगती रहती हूँ।