पीपल बांहों में चाँद का गोला लिए चुपचाप खड़ा है.
गए साल इसी हाल में उसने मुझे एक कविता दी थी.
उस कविता से निकली और फिर और ..
मगर लगता है
मगर लगता है
लफ्ज़ जो साँसों में अटके रहते हैं
कभी बाहर आने से बदल जाते हैं
सबसे बेहतर वही कविता रही
जिसे मैं कह नहीं पायी.
कभी बाहर आने से बदल जाते हैं
सबसे बेहतर वही कविता रही
जिसे मैं कह नहीं पायी.
पर किसी दिल ने फिर भी उसे सुन लिया.
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