Words can create magic and I want to get lost in them for some part of each day.

March 25, 2011

तरकीब कोई ..

थोड़ी गीली मिटटी 
कुछ भोर की ठंडक 
या हरी दूब नम सी -
बारिश की बूँदें हों ,
चांदनी मद्धम सी.

शबनम के कतरों वाले 
हों अधखिले  गुलाब  ,
नहीं तो ,पत्थर में से फूटे
मीठे पानी का झरना कोई .
माथे के बल 
बने होठों की हंसी ...

कुछ इंतज़ाम करो -
रेत की आंधी जैसी ये नाराज़गी 
कभी आँख सूजाती है ,
कभी दिल जलाती है.
बहुत सताती है.
इसे तमाम करो.

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