Girls hostel की दीवार से सटे
इमली के बूढ़े दरख्तों में
कुछ मोर बसेरा करते हैं.
हर शाम कमरों तक पहुँचती शाखों पे -
कलगी तान ,पंख झुला,
एक सुर-ताल में आलापते हैं .
मेओ-मेओ या मैं हूँ मैं हूँ ?
शायद उन में
गुज़रे मजनूओं की रूहें बसती हैं !!
dancing with words and flying in air!
Words can create magic and I want to get lost in them for some part of each day.
बांधवगढ़ -ताला वन . |