तमाशे तो हो ही रहे हैं
खेल अभी बाकी है.
बखिया उधड चुकी सड़कों पे
रेलम -पेल अभी बाकी है .
रिस रहे हैं छत ,गिर रहे हैं पुल
सितम्बर की बारिशों से हेलम-हेल अभी बाकी है.
धडकता है दिल अब
कितनी और नयी इमारतों का होना फेल अभी बाकी है ?
धक्के से बने हर खेल परिसर पे,
उठ रहीं हैं उंगलियाँ ,बनाने वालों की जेल अभी बाकी है.
बिक चुके सब नेता अफसर
देश की इज्ज़त की फुल डिस्काउंट SALE अभी बाकी है.
रह गए बस चंद दिन, सुनते हैं-
CPWD और खेल मंत्रालय का ताल-मेल अभी बाकी है.
कतरा रहा है मेहमान हर आने वाला
जिनका घर दिल्ली है ,उनके लिए झेलना अझेल अभी बाकी है.
दिल्ली से लुकाये -छिपाए -भगाए
लाखों ग़रीब -जाने कितनी ठेलम-ठेल अभी बाकी है?
मैले-कुचैले तन पर पहने गहने जेवर
देखो दिल्ली की कितनी सुन्दर झांकी है !
खेल तो हों ही जायेंगे
तमाशों में सच कितनी बेबाकी है.
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