कल रात मेरे पड़ोस में एक हादसा हुआ .
दहलीज़ पर बस सर भर रख सोने की इज़ाज़त थी उसको.
रोटी के कुछ टुकड़े और प्यार की आस सहारे जी रहा था .
हर वक़्त बंधे रहने का रश्क करना भी नहीं जानता था.
कैसे भुलाऊँ , उदास आँखों में इंतज़ार लिए उसकी वो सूरत ...
कल रात एक खूंखार तेंदुए का निवाला बन गया वो .
खुद को बचाने के लिए रस्सी छुड़ा के भाग तक नहीं पाया .
यह मौत तो एक हादसा थी.
और वह तो सिर्फ एक कुत्ता था.
- इंसानों का दिल बहलाने का एक दिलचस्प खिलौना.
पर न जाने क्यों अफ़सोस बहुत है मुझे.
इंसानियत की मौत का -
खुद्दारी और वफ़ा की मौत का.
0 comments:
Post a Comment