रात भर बूँदें गिरती रही .
सुबह देखा तो :
नज़ारे सब नए थे .
पेड़ नहा के सब चमक गए थे।
थोडा झुक कर
खुद को पानी में निहार रहा था
नन्हा सजीला नींबू
पीपल अपने हर पत्ते की नोक पर
थामे था एक सुनहरी बूँद
जैसे त्योहारी की तैयारी में लड़ियाँ पिरो रखी हों .
और मालती की बेल
यूं लहरा रही थी अपनी महकती लटें
जैसे अभी-अभी shampoo कर
अपने बाल झटक रही हो।
'baarish ke baad, Varsha ki nazar se'
ReplyDelete..simple and very pretty poem!
shukriya !!
ReplyDeleteWow!
ReplyDeleteWhat a refreshing poem... :)
i loved shampoo part of the verses :)
ReplyDeleteShampoo lines made it alive. Beautiful. I love the way you see nature.
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