टपक रहा सब बूँद -बूँद -
सोये पेड़ अब तक आँख मूँद
मुट्ठी भींचे सेवंती खड़ी है
कोहरे की चादर पड़ी है
एक गीला सा धुआं हैं ?
या किसी तडपे दिल की बद्दुआ है ?
एक ठंडी - ठंडी साँस है
कुछ खोने का अहसास है -
ठहरी हुई सी दिल में बात है
सूरज अंधेरों के साथ है
झांके धूप तो सब मुस्कायें
राज खोलें , खिल -खिलाएं .
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