Words can create magic and I want to get lost in them for some part of each day.

October 3, 2011

डर.

डर  -
मैं  इस  जुमले  से बहुत घबराती थी.
अंधेरों में मिलती थी-
तो सकुचाती थी .
पर आज जो दिन की खुली धूप में मिली -
तो सोचा,
जो नाखून और दांत मेरी बंद आँखों ने , डर पे सजाये थे ,
वो तो मेरी ही  देन  थे .
 मैं ही उसे पाल-पोस कर बड़ा कर रही थी.
फिर अपने बनाये खिलौने से डर रही थी .

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