Words can create magic and I want to get lost in them for some part of each day.

July 2, 2011

तड़का .

खौलते तेल में पानी की बूंदों सी 
अजब ज़ुबां रखती है वो -
उचटते रहते हैं लफ्ज़ उसके, 
दिमाग में देर तक-
कान में छाले पड़ जाते  हैं,
दिल से धुंआ सा उठता है .
चिलकन आँखों में देते हैं . 

जाने कब से उबल रही होगी ?
तड़कने को फड़क रही होगी?

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