दरकिनार करते हैं ,गुलमोहर,ज़कारंदा,अमलतास .
कहीं बोगुनविल्ला, मालती इठलाती
मोतिया,चंपा, चमेली, बल खाती.
जब हर ओर उड़ती है धूल
तब भी खिलते हैं ये चंद फूल .
बिन बगिया ,माली, पानी के सहारे
ये पेड़- नुमा गुलदस्ते, शायद खुदा ने खुद सँवारे.
तपती धरती के सुलगते माथे पे -
रंग -ओ- बू का एक हल्का सा आँचल तो हो.
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