दिल्ली की आबो-हवा में
ज़ोर-आज़माइश है
आप ने तो कभी आज़माई नहीं.
इशारों से समझाइश है .
हुनरों की नुमाइश है .
आपको करनी तो आयी नहीं.
आप तो अपने हिस्से के आसमान में
उड़ते रहे ,खुश होते रहे .
खिड़की पार की दुनिया पे नज़र टिकाई नहीं.
न बुरा मानिए ,गर दुनिया सोचे -
बेचारे ,बेवकूफ की कोई ख्वाहिश ही नहीं.
ज़ोर-आज़माइश है
आप ने तो कभी आज़माई नहीं.
इशारों से समझाइश है .
हुनरों की नुमाइश है .
आपको करनी तो आयी नहीं.
आप तो अपने हिस्से के आसमान में
उड़ते रहे ,खुश होते रहे .
खिड़की पार की दुनिया पे नज़र टिकाई नहीं.
न बुरा मानिए ,गर दुनिया सोचे -
बेचारे ,बेवकूफ की कोई ख्वाहिश ही नहीं.
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