Words can create magic and I want to get lost in them for some part of each day.

December 27, 2010

Sometimes the Sun Shines Through.

The Dawn is a feeble old woman
Shuffling creakily.
The razor sharp winds rule.
Fog is her heavy mantle.
Grey  is the colour - the mood.
Suddenly an uproar of parrots
-A golden shimmer of a Hawk.
And a  blue jay a-glinting
On a gnarled and faded tree.
 A lone pansy nods its little head bravely.
All declare- the Dawn is lazy and slow too :
But the Sun will definitely Shine through.

December 19, 2010

Wintry Weekend Morns.

Wintry Weekend morns of languid ease
Honeyed,Buttery Sun hums a Lullaby
Nothing more is needed,as the clouds drift by-
Except somnolently ,soaking in the rays.
Newspapers of Mayhem,Centrefolds of Scandal;
Sit fatly, ignored. The weary and Bored
soul craves for pleasures sedate and Dull,
like curling up with Poetry
or some Romantic Medieval History.
And Cups of Hot Cocoa,shared with your Beau.

December 15, 2010

मेरे दोस्त .

कुछ  दोस्त मेरे मुझे सैर पर  ले जाते हैं 
कभी खिड़की तो कभी चशमा बन 
बीते और आने वाले कल से  मुलाकात कराते हैं.
कभी गप्पें तो कभी किस्से सुनाते हैं.
अपनी हरकत से यूं ही हंसाते- बहलाते हैं.

कुछ दोस्त ज़रा संजीदा हैं.
वोह दिल की गहराई में उतर 
कुछ ऐसा  कह देते हैं 
जो मन ने जाना था यकीनन -पर बोलों पर आ न सका.
वोह दिल में कभी आह, तो कभी सिरहन जगाते हैं.   

कुछ मददगार हैं मेरे -
हर मुश्किल का हल बताते हैं.
अमल के रास्ते और रास्तों के पड़ाव सुझाते हैं.
मैं कहीं भी निकल जाऊं चाहे, इन दोस्तों का साथ 
रहता है मेरे साथ -साथ.

ये  दोस्त  मेरे सुख-दुःख के  साथी हैं.
चुप-चाप मेरे जीवन में गुनगुनाते  हैं.
कभी  बरकत की तरह,कभी रहमत की तरह ;
कभी वुज़ू की तरह,कभी आँचल की तरह -
ये  मुझ में उतर जाते हैं.

लोग कहते हैं, बस किताबें ही तो हैं.

December 9, 2010

Advise.

दिल्ली  की आबो-हवा में
ज़ोर-आज़माइश है
आप ने तो कभी आज़माई नहीं.
इशारों से समझाइश  है .
हुनरों की नुमाइश है .
आपको करनी तो आयी नहीं.
आप तो अपने हिस्से के आसमान में
उड़ते रहे ,खुश होते रहे .
खिड़की पार की दुनिया पे नज़र टिकाई नहीं.
न बुरा मानिए ,गर दुनिया सोचे -
बेचारे ,बेवकूफ की कोई ख्वाहिश ही नहीं.

December 1, 2010

Winter Sun.

Needles sting the face
Red nose and cold ears.
Piquant tastes the foggy morn.
Of smoke and dew-damp grass.
Sun struggles and straggles to keep
pace with swaddled Schoolkids.
Sniffles spare  the snug.

Noons are friendly,frolicksome.
Dogs are drunk on sun.
Buds unfurl,cats curl.
Birdy guests have a slugfest.
Lazy,fat Sun has begun its trundle
A quick roll down and Curtains.
Taste of tea lingers longer.