कैसी मज़ेदार हाट-बाज़ार की बातें
गा-गा के बुलाये फूलो मौसी
हुंकार लगाये पगड़ी में तोषी
क्या हरी मटर! क्या लाल टमाटर!
कद्दू, परवल, रंगरेज़ चुकंदर!
गुट-गुट तकते सब डलिया से
नन्हें जैसे पड़े पलने में
थैला बड़ा और बटुआ छोटा
नज़र कड़ी और सिक्का खोटा
कैसे तो गाहक हुज्जत करें
करेला-भिंडी भी हंस पड़ें
देखो मिसराइन, और वो प्रभाकर
इतरायें कैसे चवन्नी बचाकर
ऐंठे जैसे मूली-गाजर
रानी गोभी का साथ पाकर
भीड़ में ग़ुम गये आलू राजा
बैंगन याद दिलाये भाजा
खींच रही सीताफल की महक
लुभा रही लहसुन की लहक
चिकना चीकू चमकाएँ आँखें
हरे चने आंवलें को ताकें .
अंजीर, रसभरी की बाहों में डोले
मैं मिठास तू रस है बोले!
आम सेब को जीभ दिखाए
डिंगरा- कलींदा नाच नचायें
ख़ुदा ने रंग यूँ स्वाद में घोला
क्यों चाहिए तुमको टॉफी -कोला ?
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