The beds in Neuro ICUs have creatures who used to be people in their earlier lives .Now they are locked in a sick world . If they could get up and speak what would they ask for ?
खुदाया
ये तार-तार नफ़स से बूँद -बूँद ज़िंदगी न दे -
ये घुटन ,ये तिजारत , ये बेरुखी न दे
मरना मंज़ूर है -
बस इतनी सी हसरत है :
जो देना है तो
बस एक कतरा धूप
दो कतरा रंगों -बू
और किसी पंखुरी पे शबनम सी हंसी दे दे।
Very intense and poignant!
ReplyDeleteso was my experience !
ReplyDelete