On one of my frequent trips to Delhi ,I was staying close to Turkmaan Gate and decided to take a Rickshaw into the timeless bylanes behind it.It was early morning -the crowds were less enough for us to walk up to Jama Masjid, discover Ghaalib's Haveli and a few of the grand Havelis of yore .Find gallis like galli Mem Waali , galli बूढी दाई waali and so on.The remains of the midnight flower bazaar could be seen and the business was brisk in the produce market -fruits ,veggies and meat for the Gourmet Hot Spots was being bought. There is nothing as quintessentially Indian and as quintessentially multicultural and secular as Chandni Chowk. Kasam se !!
हाय !
इक सुबह
वो इत्तेफाकन मुलाक़ात
पुरानी दिल्ली से
गोया किसी बुज़ुर्गा की झुर्रियों में
झलकती जवानी देखना !
गुत्थी भी है ,पहेली भी है
हंस कर कई राज़ ज़ाहिर करने वाली सहेली भी है.
आज के मुंह में पाँव फंसा कर खड़े बीते हुए कल की तस्वीर
और गली-कूचों में रुके हुए ज़मानों की तहज़ीब .
रिक्शे,ठेले ,बुर्के , लाले ,हलवाई :
फूलों के बाज़ार ,कबूतरबाज़ , कसाई
धूप में ऊँघे बूढ़े ,बिल्ली और लाल ढाडी वाले मिर्ज़ा भाई .
वो ऊँची सीढियां जामा मस्जिद की ,वो कबूतरों से अटी मीनारें
जहाँ से पुरकशिश नज्ज़ारा दीखता है इस तारीखी शहर का :
कभी जमुना यहीं पास थी और लाल किला आबाद था.
वो अंधेरी गलियों में छिपी बड़ी हवेलियाँ
जहाँ शायद ग़ालिब की रूह अभी भी बसती होगी
और इस दौड़ती -भागती दुनियां की नादानी पे हँसती होगी.
पुरानी है : पर माशाल्लाह ! क्या गज़ब की रवानी है !!